Sunday, April 6, 2014

प्यार हमसे भी थोडा जता दीजिये

तुम कहो या चुप ही रहो
बात दिल तक जरा पहुंचा दीजिये
हम सदियों से प्यार करते रहे
प्यार हमसे भी थोडा जता दीजिये  ।

एक कुमुदुनी दिनभर परेशान है
आस का सूरज ढलता गया
कुछ ऐसी सियासी हवाएं चली
उसका भंवरा कहीं दूर उड़ता गया,
हम तुम दोनों जुदा हो गए
ऐसी बातों को न हवा दीजिये

प्यार हमसे भी थोडा जता दीजिये ।

एक मछली किनारे पे आके गिरी
उसका साथी था जाल में कहीं
बोली मुझको भी ले चलो आदमी
उसके पैरों पर वो रोने लगी,
तुझको मुझसे मिलने से रोके
ऐसी जालों को फ़ना कीजिये

प्यार हमसे भी थोडा जता दीजिये । 

रेत पर जो थे पाँव के निशां
मेरे पाँव उस पर पड़ते गए
वो हसीं वादियां वो हसीं पल
सारे  रेत में बदलते गए
रेत भी वक़्त बताने लगे
अपने हाथों से रेत गिरा दीजिये

प्यार हमसे भी थोडा जता दीजिये ।

देखो ये घटायें  उदास हैं
परिंदे भी सब चुप से हुए
तुम जो थोड़े से हुए ग़मगीन
फूल सारे  मुरझा से गए
ये रोते हुए सब हंसने लगे
आप थोडा सा मुस्कुरा दीजिये

हम सदियों से प्यार करते रहे
प्यार हमसे भी थोडा जता दीजिये ।


                      ---- अजय गौतम 'आहत '