इश्क की जालसाजी में क्या खोया क्या पाया
फुरकत में जब फुरसत होगी तो सोचेंगे हम..
ये सिगरेट के धुंए के छल्ले हैं या माथे की लकीरें
इक कश तो गहरी लेने दे तो सोचेंगे हम..
शराब में नशा तेरे इश्क से कम तो नहीं
इक घूंट तो ज़रा चढ़ने दे तो सोचेंगे हम..
ये आँखों की बेरहमी है या इश्क़ का ग़म
ज़रा आँसूं तो थमने दे तो सोचेंगे हम..
भागते रहे उम्र भर मंजिल न मिली क्यूँ
थकेंगे जब कदम 'आहत' तो सोचेंगे हम..
--- अजय गौतम 'आहत '
(फुरकत = Separation )
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DeleteBoyz lines...awesome....@mrinal..
Deletethanks for appreciation Mrinal :)
Deletekafi dard h kavita ki panktiyon me.. Lagta h jaise apbiti hi ho.. Btw awsme lines - Vandana verma :)
ReplyDeleteshukriya Vandana ji. dard kalam ki syahi hai :)
Delete@Ruhi ...apse mai tin shabd bolna chahti hu ajay ye poem padh kr.. Awsme! Awsme! Awsme!
ReplyDeleteRuhi ji thanku ! shukriya ! dhanyawad ! :)
DeleteKaahe itna dimaag lagata hai .......
ReplyDeletewaise mast likha hai :)
:) :) thanku Raman Kumar !
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