ये गुलाब की सूखी पंखुडियां,
तुम्हारी याद दिलाती हैं,
कुछ खो दिया मैंने कहीं,
मुझे ये बताती हैं |
" कभी तोड़ा था मुझे डाली से,
अपने प्रिये को देने के लिए,
फिर रख दिया पन्नों के बीच,
ऐसे मुरझाने के लिए,
याद करो वह दिन जब ,
वो पुस्तक लेने आई थी,
............
--- ajay gautam 'aahat'