हर सांस पर आस लगाये बैठे हैं ,
दिल में उठी आह दबाये बैठे हैं ,
कहीं गुज़र न जाओ हवा बनके ,
हर राह पर आँख लगाये बैठे हैं |
तोड़ दूँ ख़ामोशी की ज़ंजीर ,
कर दूँ ऐलान-ए-मोहब्बत दुनिया से ,
कहीं बदनाम हो न जाओ, शराफत है मेरी ,
हर ज़ज्बात को सीने में दबाये बैठे हैं |
----- अजय गौतम 'आह़त'
nice bhaut daaru hai tum jaiso ke lie maikhane me
ReplyDeletebahut khubsurat blog h
ReplyDeleteIntezar ka apna alag hi nasha hota hai jo kisi maikhane me nahi milta-pathetic lines drawn by u.good job
ReplyDeletethanx aashi & vivek
ReplyDeletethanx subhash bahut chakkar laga rahe ho maykhane ke :P
ReplyDeleteकहीं बदनाम हो न जाओ, शराफत है मेरी ,
ReplyDeleteहर ज़ज्बात को सीने में दबाये बैठे हैं |
isse sacha pyaar kya hoga !
very nice !
@bhartiji bas ishq ke andaz alag alag hota hai . Thanx :)
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