तुम भी कर सकते थे बयां रुसवाई का सबब,
किसी गैर से सुना तो दुःख होता है ,
किसी गैर से सुना तो दुःख होता है ,
शहर की गलियों में भटकता ,
पत्तो पत्तो से पता पूछा,
पत्तो पत्तो से पता पूछा,
ग़म न होता गर तू देखती न,
देखकर फेर ली नज़र तो दुःख होता है |
देखकर फेर ली नज़र तो दुःख होता है |
लावारिश आहें चुपके से कभी,
हवाओ में बिखर जाती हैं ,
हवाओ में बिखर जाती हैं ,
यूँ तो कोशिश है खुश रहने की,
तेरी बात निकल आयी तो दुःख होता है ,
तेरी बात निकल आयी तो दुःख होता है ,
बारिश बनकर इतना गिरे,
जितना पानी समंदर में ,
जितना पानी समंदर में ,
ख्वाहिश नहीं तू भी रोये ग़म में,
पर दुख भी नहीं ज़रा तो दुख होता है |
पर दुख भी नहीं ज़रा तो दुख होता है |
------ अजय गौतम 'आहत'
Very Well written.
ReplyDeleteग़म न होता गर तू देखती न, देखकर फेर ली नज़र तो दुःख होता है |
most impressive line ! jise padh kar kisi bhi pyar karne wale ko dukh hoga !
"लावारिस आहें चुपके से कभी , हवाओ में बिखर जाती हैं ,
ReplyDeleteयूँ तो कोशिश है खुश रहने की, तेरी बात निकल आयी तो दुःख होता है".... this one is brilliant :)
@ bhartiji dhanyawad..aap jaisa ek sachaa aashiq hi baat ki gehrai samjh sakta hai
ReplyDelete@ siddharth thank u sir.. bas yun hi dil mein kuch khayal gaya ..
ReplyDeletewow...amazing line...so sosso gud....
ReplyDelete@shakshi dhanywad madam :)
ReplyDeleteख्वाहिशो में तेरी झलक मिलते ही चेहरे पे मुस्कान आ जाती है,
ReplyDeleteआँखे खोलते ही तू ना हो पास, तो दुःख होता है।
Very deep illustration, well written
Wonderful ! Thank you so much !
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