Tuesday, March 3, 2009

पंखुडियाँ

ये गुलाब की सूखी पंखुडियां,
तुम्हारी याद दिलाती हैं,
कुछ खो दिया मैंने कहीं,
मुझे ये बताती हैं |


" कभी तोड़ा था मुझे डाली से,
अपने प्रिये को देने के लिए,
फिर रख दिया पन्नों के बीच,
ऐसे मुरझाने के लिए,


याद करो वह दिन जब ,
वो पुस्तक लेने आई थी,


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--- ajay gautam 'aahat'