Friday, May 22, 2009

विवश


न तोड़ सकता हूँ चाँद तारें,
न मोड़ सकता हूँ रुख़ बयार का,
कर सकता हूँ मैं बस प्रिये ,
तुझसे वादा प्यार का

माना मुझसे हैं और हसीं,
है उपलब्ध लुभावने प्रलोभन ,
आमीन होंगी हर ख्वाहिशें
,
सुख में व्यतीत हो जीवन

पर नही
दिखा
सकता मैं,
सपना सात समंदर पार का,
कर सकता हूँ मैं बस प्रिये
,
तुझसे वादा प्यार का


उधर हैं राहें खुशी की,
इधर है
कठिन
जीवन ,
वहां हमेशा हंसता चेहरा ,
यहाँ कभी आँखें नम

उधर
मिलेगा
प्रिये उपहार,
सोने के ताज का ,
इधर होगा तोहफा बस ,
बाँहों के हार का

अभी विवश पथिक हूँ ,
मंजिल की तलाश है ,
तुम अगर साथ हो तो ,
क्षितिज भी पास है

इच्छा तुम्हारी , निर्णय तुम्हारा,
अधिकार है इनकार का ,
कर सकता हूँ मैं बस प्रिये ,
तुझसे वादा प्यार का

----- Ajay Gautam ' आह़त '

Tuesday, March 3, 2009

पंखुडियाँ

ये गुलाब की सूखी पंखुडियां,
तुम्हारी याद दिलाती हैं,
कुछ खो दिया मैंने कहीं,
मुझे ये बताती हैं |


" कभी तोड़ा था मुझे डाली से,
अपने प्रिये को देने के लिए,
फिर रख दिया पन्नों के बीच,
ऐसे मुरझाने के लिए,


याद करो वह दिन जब ,
वो पुस्तक लेने आई थी,


............





--- ajay gautam 'aahat'

Monday, February 23, 2009

याद


कभी ग़म को छुपाना अच्छा लगता है,
यूँ अकेले में आंसू बहाना अच्छा लगता है,
वो हमें इतना याद आते हैं की अब,
उन्हें पलभर भुलाना अच्छा लगता है|


-ajay gautam 'aahat'

Saturday, February 21, 2009

आकांक्षा


उठती हैं सागर की लहरें
लेकर आकांक्षा,
कि छूना है आकाश ,
इस तमन्ना को लेकर करती
बार बार प्रयास |
गिरती लेकर निराशा ,
पर मन में है अभी भी अभिलाषा,
कि छूना है आकाश
चाहे कितना करना पड़े 
प्रयास|

            - ajay gautam ' aahat'