इश्क की जालसाजी में क्या खोया क्या पाया
फुरकत में जब फुरसत होगी तो सोचेंगे हम..
ये सिगरेट के धुंए के छल्ले हैं या माथे की लकीरें
इक कश तो गहरी लेने दे तो सोचेंगे हम..
शराब में नशा तेरे इश्क से कम तो नहीं
इक घूंट तो ज़रा चढ़ने दे तो सोचेंगे हम..
ये आँखों की बेरहमी है या इश्क़ का ग़म
ज़रा आँसूं तो थमने दे तो सोचेंगे हम..
भागते रहे उम्र भर मंजिल न मिली क्यूँ
थकेंगे जब कदम 'आहत' तो सोचेंगे हम..
--- अजय गौतम 'आहत '
(फुरकत = Separation )