Monday, June 8, 2020

गज़ल

दूर है तो क्या दिल से तो करीब है
जाने क्या क्या बहाने बनाते हैं लोग

अजब सी खामोशी है तेरे शहर में
दरख्तों से झांक छिप जाते हैं लोग

वो भूखा दो जून की रोटी मांगता है
उसी का गला क्यूं दबाते है लोग

वोट दिया है तो हिसाब मांग ले
कौन है जिसको बचाते हैं लोग

चिड़ियों को सलाह से अब कोई न वास्ता
सैय्याद को भी बागबां बताते हैं लोग ।

               --- अजय गौतम 'आहत'

2 comments:

  1. Bahut khub goutam g ap ka book mujhe kaose milega mai kuwait me hu ager uska koi pdf pdf hai to please share kare mera ek chota sa youtube youtube hai chajta hu ap ke lekhniye ko waha share karu video form ap ke nam ke sath

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  2. शुक्रिया। बुक शायद वहां पर अमेज़न डिलीवरी करेगी कि नही। आईडिया नही। अभी केवल पेपरबैक में उपलब्ध है। pdf तो available नही है दोस्त , पर बुक की एक रचना आपको भेज सकता हूं। आप उसे youtube पर शेयर कर सकते है बाकी अमेज़न का लिंक भी भेज देता हूँ। आपके youtube channel का नाम क्या है । हम अभी सब्सक्राइब करते हैं। Again बहुत बहुत धन्यवाद! :)

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