Saturday, July 25, 2020

खुली आँखों से जलता मेहताब देखोगे 
सर्द हवाओं से लड़ते चराग़ देखोगे 
अभी तो बस कलम उठायी है 
स्याही में बहते सैलाब देखोगे 

                     - अजय गौतम 'आहत '


No comments:

Post a Comment